सहचरी माना तुझे,लेखनी, छोड़ तुझे कहाँ जाऊं लोग लिख गए महाकाव्य मैं पंक्ति ना लिख पाऊं सुख दुख बांटे सभी तुझी से राज़ तू मेरे जाने जैसा मैं चाहूँ तू लिख दे कैसे तुझे चलाऊँ इत उत उड़ता फ़िरे ये मन का पंछी दुनिया देखे मोती चुग लाये संग तुझसे माला मैं पिरवाऊं मीत भी तू ही, प्रीत भी तू ही, जीत भी मेरी तू ही जग रूठे तो रूठे पर जो तू रूठी ,मर जाऊं #अंजलिउवाच #YQdidi #लेखनी #सहचरी #मीत #जीत #मेरीलेखनी