सुनो! याद है वो पहली बार की कॉफी। मैं कहाँ पीती थी कॉफी मगर तुम शौकीन थे। पहली मुलाकात में पहली कॉफी भी जरूरी थी। तुमने मंगाई दो कॉफी। और तुम गर्म गर्म पी भी गए। और मैं पीती नहीं थी तो उसकी गर्म भाप पर उंगलियां फिराते रही। और तुमने पहली बार कहा था। " होने को पहली मुलाक़ात है मगर तुम्हें बरसों से जानता हूँ यूँ लगता है, तुम्हारा यूँ कॉफी की भाप पर हाथ फिरना सच अच्छा लगता है।" और मैं तुम्हारी उस शायरी पर जोर से खिलखिलाकर हंस दी और तुम्हें कॉफ़ी न पीने वाली बात दस दी। मुझे लगा तुम गुस्सा हो जाओगे मगर तुम तो शरमाकर मुस्कुरा दिए थे। वो कॉफी आज भी याद आती है। हाँ कॉफी आज भी नहीं पीती। मगर कॉफी की भाप आज भी मुझे तुम्हारी याद दिलाती है। सखी #CCD #कॉफी #याद #तुम