अलबिदा जिन्दगी मैं अब चला यहां से, हो सके तो कभी मुझे याद करना, मन हो देखने का तो आसमां देखना, अब शायद हमें है वही सदा रहना, हुई जो खता तो मुझे माफ करना, हो सके तो कभी मुझे याद करना, करता हूं मैं फिकर इसलिए प्रश्न हैं, जिन्दगी हो मेरी इसलिए फिक्र है, लगता है तुझको ये बंदिशें हैं तेरी, मेरे लब पर हर पल तेरा जिक्र है, मेरी फिक्र ही तेरी दुश्मन बन गई, कह दिया तूने तेरी जिन्दगी मर गई, इससे ज्यादा मुझे अब क्या कहना, हो सके तो कभी मुझे...........! हो सके तो मुझे........!