केवल उपभोग की वस्तु नहीं है नारी ज्यों बीडी. सिगरेट का कश लेते हो, उडाकर धुआं जलने लगे अंगुली फेंक देते हो, अपनी पर आने पर जला देने वाली चिंगारी है नारी। नारी नहीं है कोई मद का प्याला, जिसे जब चाहो तब पीकर हो जाओ मतवाला, नारी है वह शीतल जल की झारी, जो भूख-प्यास, क्रोध अग्नि की उठने नहीं देती चिंगारी। केवल मन-बहलाव का साधन भी नहीं है नारी, जो जब चाहो मन बहला लो, कोई किस्से-कहानी की पुस्तक नहीं, जिसे तकिए के नीचे छुपालो, ग्यान और गुणों की मूर्त है नारी। यों तो मां, बहिन,बेटी,पत्नी के हर रूप में वात्सल्य-रूप है नारी, जब तक मानवता की सारी हदें पार न हो जाती, वह सहती है,चूँ तक भी नहीं करती है, मगर याद रखना बिगड़ने पर वही नारी,बन जाती है काली,दुर्गा-चण्डी रूप-धारी । #international_womens_day केवल उपभोग की वस्तु नहीं है नारी