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हीर राँझा की बनी थी जैसे वैसी आजकल इश्क-ए-मज़

हीर  राँझा  की  बनी  थी  जैसे
वैसी आजकल  इश्क-ए-मज़ार  कहां,,

सबब  की  बात  है  जो  मैं  दूर  हूँ
वर्ना  फासलो  की  इतनी  औकात  कहां,,

आपके  लिखे  अशार  समझ  न  आये
ऐसी  हमारी  समझ  की  मजाल  कहां,, #nojoto
#kavita
#nazm
 Prakash Khanna shubhbacardi Akash Yadav aman6.1 aamil Qureshi  Lipika Jain
हीर  राँझा  की  बनी  थी  जैसे
वैसी आजकल  इश्क-ए-मज़ार  कहां,,

सबब  की  बात  है  जो  मैं  दूर  हूँ
वर्ना  फासलो  की  इतनी  औकात  कहां,,

आपके  लिखे  अशार  समझ  न  आये
ऐसी  हमारी  समझ  की  मजाल  कहां,, #nojoto
#kavita
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 Prakash Khanna shubhbacardi Akash Yadav aman6.1 aamil Qureshi  Lipika Jain