जिंदगी का सबसे बडा दुख मन मे चल रहे,दिल मे उठ रहे विचारों को शब्दों का रूप ना दे पाना। इस पीड़ा को भोगना मेरे लिए सबसे कठिन होता है ,शायद मैं और सारे दर्दों को आसानी से सह सकता हूँ पर ये सामने दिखने वाले विचारों को काग़ज़ पर ना उतार पाना ठीक उसी तरह है जैसे जैसे किसी मूकबधिर का अपने शब्दों को आँखों के सामने चलते हुए बस देख पाना।शायद मेरी पीड़ा को यही सबसे अच्छे से समझ सकते है क्योंकि कहा गया है कि जब दुख एक तरह के हो तो दो लोगों के बीच जुडाव दिल की गहराईयों तक होता है। ©Sandeep Sagar #sagarkidiaryse #Dark