आज यह बात रह-रह कर याद आ रही है और व्यथित कर रही है।हर बात का निर्णय लेने वाले ये भाई कौन होते हैं और किसके दम पर निर्णय लेते हैं? मांओं के दम पर! तो सबसे पहले लड़कियाँ ही इस बात को समझे कि बेटा पैदा हो तो प्रारम्भ से ही उसे सभ्य और संस्कारी इंसान बनाने का प्रयास करे। अपने भाई और पिता की जो बात पसंद न हो तो वो उनमें कतई न आने दे। सभी को चिंतन-मनन करने की जरूरत है।ये समस्या छोटी नहीं है और न ही मौसमी है कि कोई घटना मीडिया का हिस्सा बने तब सब बरसाती मेंढकों की तरह टर्राना शुरू कर दे औऱ फिर खामोश हो जाये। ©अंजलि जैन #बेटों को इंसान बनाएं#०३.१०.२० #Stoprape