किस रास्ते है जाना ये मैंने भी कब जाना, मुझको थी बस तेरी तलब था सिर्फ तेरा दीवाना , दौर था वो कोई और जब मुझे था तेरे घर जाना, अब कदम बहक उठते हैं मेरे देख जिधर मयखाना।। #post257 #अंकितशर्माबेख़बर