मुस्तक़िल ग़म से बिखर जाते हैं अच्छे अच्छे ज़िंदा रहते हुए मर जाते हैं अच्छे अच्छे चलते रहने का अगर दिल में जवाँ हो जज़बा ठोकरें खा के सँवर जाते हैं अच्छे अच्छे आप इस दहर में तन्हा तो नहीं वाअदा ख़िलाफ़ अपने वाअदे से मुकर जाते हैं अच्छे अच्छे मौत पर बस कहाँ चलता है किसी का ए दोस्त जब वो आती है तो डर जाते हैं अच्छे अच्छे शैख़-साहब का ही रिश्ता नहीं मैख़ाने से मैंने देखा है उधर जाते हैं अच्छे अच्छे झील सी गहरी हसीं आँखों के पैमानों में मैं ही क्या सिर्फ , उतर जाते हैं अच्छे अच्छे लाख पहरे हों ज़माने की निगाहों के मगर इशक़ करना हो तो कर जाते हैं अच्छे अच्छे ज़ीस्त ने दर्द दिया है तो दवा भी देगी दुख मिरी जान गुज़र जाते हैं अच्छे अच्छे साद ताबीरों का मिलना भी ज़रूरी तो नहीं टूट कर ख्वाब बिखर जाते हैं अच्छे अच्छे अरशद साद रूदौलवी ©साद रूदौलवी سعدؔ ردولوی Arfa #scared