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"हास्य व्यंग" कुर्सी जाते ही सबको औकात समझ में आ

"हास्य व्यंग" 

कुर्सी जाते ही सबको औकात समझ में आएगा,
एक दिन ऊँट स्वयं ही इस पर्वत के नीचे आएगा,
सब्र करो थोड़ा सब्र करो सब को आजमाया जाएगा,
राहुल इतना मत उछलाे तुमको भी लाया जाएगा।

इतना चिंतित मत हो सब वादा पूरा हो जाएगा,
वक्त लगेगा लेकिन यूपी लंदन सा हो जाएगा,
जो जलते हैं उन्हें जलने दो एक दिन उनका भी आएगा,
आग लगाने वाला ही जैसे मुर्दा जल जाएगा।

बात अयोध्या की है तो मंदिर भी बन जाएगा,
कुछ तो खुश इतना है जैसे स्वर्ग उन्हें मिल जाएगा,
नोट बदलने के जैसा बीवी को बदला जाएगा,
इतना खुश मत हो जाओ नहीं तो रोना भी पड़ जाएगा,
वाे हनीप्रीत बन जाएगी तू राम रहीम हो जाएगा। 

कितनों को नफरत है इनसे कितनों को हो जाएगा,
गिन के पाँच वर्ष जी लो छँठवे में देखा जाएगा,
इतना कहते ही वाे सब खुशियों का झूला झूल गए,
उन पर क्या गुजरी होगी जब योगी फिर से जीत गए।।।

"सुधांशु पांड़े" हास्य व्यंग की कविता जो सुधांशु पांडे की अमर लेखनी से लिखित हैं।।।
"हास्य व्यंग" 

कुर्सी जाते ही सबको औकात समझ में आएगा,
एक दिन ऊँट स्वयं ही इस पर्वत के नीचे आएगा,
सब्र करो थोड़ा सब्र करो सब को आजमाया जाएगा,
राहुल इतना मत उछलाे तुमको भी लाया जाएगा।

इतना चिंतित मत हो सब वादा पूरा हो जाएगा,
वक्त लगेगा लेकिन यूपी लंदन सा हो जाएगा,
जो जलते हैं उन्हें जलने दो एक दिन उनका भी आएगा,
आग लगाने वाला ही जैसे मुर्दा जल जाएगा।

बात अयोध्या की है तो मंदिर भी बन जाएगा,
कुछ तो खुश इतना है जैसे स्वर्ग उन्हें मिल जाएगा,
नोट बदलने के जैसा बीवी को बदला जाएगा,
इतना खुश मत हो जाओ नहीं तो रोना भी पड़ जाएगा,
वाे हनीप्रीत बन जाएगी तू राम रहीम हो जाएगा। 

कितनों को नफरत है इनसे कितनों को हो जाएगा,
गिन के पाँच वर्ष जी लो छँठवे में देखा जाएगा,
इतना कहते ही वाे सब खुशियों का झूला झूल गए,
उन पर क्या गुजरी होगी जब योगी फिर से जीत गए।।।

"सुधांशु पांड़े" हास्य व्यंग की कविता जो सुधांशु पांडे की अमर लेखनी से लिखित हैं।।।