'पुराना घर' क्या अब भी याद आता है वो पुराना घर सपनों का सारा संसार टिका था जिस पर वो शामें,वो यादें,वो नादानियाँ अब हंसते हैं जिस पर क्या अब भी याद आता है वो पुराना घर शायद वो भी अब रोता होगा पर अब उसके आंसू कौन पोंछता होगा फिर भी वो किसी आस में खड़ा है आज भी वहीं पर क्या अब भी याद आता है वो पुराना घर सारी यादों का खजाना लेकर हम चल दिये सालों के सहारे को बेसहारा करके चल दिये वो बेचारा भी हंसता होगा इस इंसान को देखकर क्या अब भी याद आता है वो पुराना घर हवाएं ये शहरों की ज़हर घोला करती हैं दो मुहे लोगों की ज़बान चार बातें बोला करती हैं वो दिन अब क्या आएंगे रोया ये सब देखकर क्या अब भी याद आता है वो पुराना घर #पलायन #पुरानाघर #यादें