कुर्सी की लालच में अपने , इस लोकतंत्र की हार हुई कभी लड़े जो आपस में ,मिलकर उनकी सरकार हुई जनता की मजबूरी का बस ,मजाक बनाया है तुमने संविधान की आत्मा देखो, बलात्कार का शिकार हुई जो शेर दहाड़ा करता था इन सत्ता के ठेकेदारो से सत्ता की खातिर वो भी ,विरोधी के गले का हार हुई चुने गये प्रतिनिधि को ,बंद होटल मे रखा जाता है जनता के किये भरोसे की, इस लोकतंत्र मे हार हुई कुर्सी कुर्सी की ताक में सब, यहां आँख लगाये बैठे है संजय सबने देखा इनमे ,किस तरह से जूतमपैजार हुई कुर्सी