वो आख़िरी ख़त ख़त पुराना था मगर बेटे को खोने का ज़ख्म आज भी ताजा था,वो पढ़ रही थी बड़े ही प्रेम भाव से ख़त था उसके बेटे का जो वतन की आन बान शान बनाये रखने की ख़ातिर ख़ुद का जीवन बलिदान कर धरती माँ के आँचल में समा गया,वो माँ थी कभी बेटे की तस्वीर अपने आँचल से साफ करती,तो कभी उसका पुराना ख़त पढ़ने लग जाती,माँ का दिल था करती भी क्या बस पास उसके वही एक ख़त बेटे की तस्वीर ही थी जो उसके जीवन व्यतीत करने का सहारा थी। कहती न किसी से कभी कुछ छुपा कर गम दुनिया के सामने तन्हाई में फूट फूट कर रोती,वो माँ थी सब्र भी भला कैसे करती,बड़ा ही मुश्किल होता है एक माँ को सब्र करना। होली के हमजोली-15 #collabwithकोराकाग़ज #कोराकागज़ #होली2021 #kkhkh2021 #होलीकेहमजोली #विशेषप्रतियोगिता #tarunasharma0004