Nojoto: Largest Storytelling Platform

प्राण प्रियतमा सूखा सा वो गुलाब पन्नों के बीच भी म

प्राण प्रियतमा सूखा सा वो गुलाब
पन्नों के बीच भी महकता है;
आज भी उसकी पंखुड़ियां
तेरे होने का एहसास दिलाती है..।।

कि जब भी बारिश आती है
न जाने क्यों "छन" से बज उठते हैं
कानों में तेरे पायल;
प्राण प्रियतमा सूखा सा वो गुलाब
पन्नों के बीच भी महकता है;
आज भी उसकी पंखुड़ियां
तेरे होने का एहसास दिलाती है..।।

कि जब भी बारिश आती है
न जाने क्यों "छन" से बज उठते हैं
कानों में तेरे पायल;
rabiyanizam6257

Rabiya Nizam

New Creator