रुकी हुई साँसों में खौल उठती हैं खाँसियाँ अंतड़ियाँ हूँक देती हैं काले कोप जैसा खून एक कमजोर हाथ के सहारे टिक जाती है चेतना और आंखों में घूम जाती है एक लंबी जिंदगी। - विद्रोही #vidrohi