मोहब्बत को ' मुसाफिर ' इतना पाख़ ना समझ, मॏकदे में दिखते है मुझे अफ़सुर्दा आशिक़ अक्सर। अ़फसुर्दा = सताए हुए, पीड़ित। पाख़ = पवित्र, साफ़।