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सोच! जो जिंदगी बदल दे। Part 3 (Story in caption)

 सोच! जो जिंदगी बदल दे।
Part 3
(Story in caption) संदीप के और भी कई दोस्त थे, जो संदीप से बहुत प्यार करते थे। संदीप का अकेलापन देखकर वे बेचैन हो गए थे। उसके दोस्त उसकी उदासी दूर करने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रहे थे।
1 दिन की बात है, 
"हेलो! संदीप कैसे हो तुम? संदीप ने हंसकर जवाब दिया " मैं ठीक हूं।"
क्या यार तुम मैसेज भी नहीं करते और रिप्लाई भी नहीं देते, क्या हो गया है तुझे?
"कुछ नहीं मैं ठीक हूं पागल" संदीप ने जवाब दिया।
संदीप के दोस्तों को लग रहा था, कि संदीप उदास है, उसे दुख हुआ है, पर वे गलत थे। संदीप अब दुखी नहीं था, सच तो कुछ और ही था।
 सोच! जो जिंदगी बदल दे।
Part 3
(Story in caption) संदीप के और भी कई दोस्त थे, जो संदीप से बहुत प्यार करते थे। संदीप का अकेलापन देखकर वे बेचैन हो गए थे। उसके दोस्त उसकी उदासी दूर करने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रहे थे।
1 दिन की बात है, 
"हेलो! संदीप कैसे हो तुम? संदीप ने हंसकर जवाब दिया " मैं ठीक हूं।"
क्या यार तुम मैसेज भी नहीं करते और रिप्लाई भी नहीं देते, क्या हो गया है तुझे?
"कुछ नहीं मैं ठीक हूं पागल" संदीप ने जवाब दिया।
संदीप के दोस्तों को लग रहा था, कि संदीप उदास है, उसे दुख हुआ है, पर वे गलत थे। संदीप अब दुखी नहीं था, सच तो कुछ और ही था।