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आज भी महिलाओं और बेटियों पर भी हद से ज्यादा बंदिशे

आज भी महिलाओं और बेटियों
पर भी हद से ज्यादा बंदिशे है

[ Read Captain ] कुछ लोग अपने घर की महिलाओं/बेटियों पर भी हद से ज्यादा बंदिशे लगा देते है।
पैर की जूती है औरत,, 
कमजोर है,औरत,, 
बेवकूफ है, औरत, 
दिमाग़ नहीं है यही समझा जाता है औरत को ज़ब वो अपनी औलाद को जन्म देती है तो कितना दर्द होता है पता है 206 हड्डिया एक साथ तोड़ने जितना, नॉर्मल मे, डॉ ने बहका दिया ऑपरेशन होगा तो चीरा फाड़ी,, कितनी बंदिशे सहती है तीसरे महीने से फिर भी कदम कदम पर नीचा दिखाते है हम,,
जिम्मेदारी भी बहुत होती है एक माँ पर बच्चा छोटा है तो तीखा मत खाओ  ये नहीं वो नहीं,,क्यों की माँ का दूध ही बच्चे
आज भी महिलाओं और बेटियों
पर भी हद से ज्यादा बंदिशे है

[ Read Captain ] कुछ लोग अपने घर की महिलाओं/बेटियों पर भी हद से ज्यादा बंदिशे लगा देते है।
पैर की जूती है औरत,, 
कमजोर है,औरत,, 
बेवकूफ है, औरत, 
दिमाग़ नहीं है यही समझा जाता है औरत को ज़ब वो अपनी औलाद को जन्म देती है तो कितना दर्द होता है पता है 206 हड्डिया एक साथ तोड़ने जितना, नॉर्मल मे, डॉ ने बहका दिया ऑपरेशन होगा तो चीरा फाड़ी,, कितनी बंदिशे सहती है तीसरे महीने से फिर भी कदम कदम पर नीचा दिखाते है हम,,
जिम्मेदारी भी बहुत होती है एक माँ पर बच्चा छोटा है तो तीखा मत खाओ  ये नहीं वो नहीं,,क्यों की माँ का दूध ही बच्चे