आसां नहीं आसां नहीं ; इस जमाने में ; कुछ हासिल करना पड़ता है , उसके लिए ; हमें सौ बार ; मरना भरना , हाँ ! अपने अन्दर ; इतना जोश भरना लक्ष्य होना चाहिए जिसका मंजिल हासिल करना कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद आसां नहीं...... कीर्तिप्रद