मां तेरी ही उंगली थाम कर चला। तुने ही रास्ते दिखाये। ना कह क्या है खवाहिशे तेरी। बस इतनी सी दुआ और ताकत दे। ताकी कर सकू तेरी ही बनदगी मे। आज एक मुकाम की खोज मे ना जने कब लाँघ गया तेरी दहलिज मे। सोचता हू फिर मिले वह लम्हा ताकी ओड सकू दो गज तेरी आँचल का कोना मे।