Nojoto: Largest Storytelling Platform

सोते हैं जब हम घरों में तानकर चद्दर रजाई। और

सोते हैं जब हम  घरों  में  तानकर  चद्दर  रजाई।
और कई मुफ़लिस हैं सोते ठिठुरती सर्दी में भाई।
बात करते हैं यहाँ सबलोग हुआ कितना विकास-
झूठ कहते यूँ सभी से उसको तनिक न लाज आई।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #सर्दी
सोते हैं जब हम  घरों  में  तानकर  चद्दर  रजाई।
और कई मुफ़लिस हैं सोते ठिठुरती सर्दी में भाई।
बात करते हैं यहाँ सबलोग हुआ कितना विकास-
झूठ कहते यूँ सभी से उसको तनिक न लाज आई।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #सर्दी