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तुम और कविता ‘❣दादी माँ’ ❣🛐 दादी जिसे हर चीज का त

तुम और कविता ‘❣दादी माँ’ ❣🛐
दादी जिसे हर चीज का तजुर्बा दुगना होता है
 , मुझे जब मेरी दादी की छवि याद अाती है ,
आँखों के सामने एक तस्वीर सी घूम जाती है
मेरी दादी की छवि एक  ऐसी छवि थी जो अनुशासन , नेत्रत्व , ओर ग्यान से परिपूर्ण थी
एक मजबूत नीम की तरह थी. 
बच्चों को कहानी सुनाते सुनाते , 
इतने अच्छे संस्कार डाल देना एक दादी ही कर सकती है
वो माँ नही दादी माँ है. 
जिस तरह माँ एक शीतल छाया का एहसास दिलाती है 
, उसी तरह दादी माँ एक मीठी सी प्यार भरी मिठास है 
, जो जिस बच्चे को मिलती है ,
 वही उसकी अहमियत को समझ सकता है.
मुझे उनकी यह बात हमेशा लुभाती, 
की सामने वाला चाहे जित्न् अभी बड़ा आदमी हो 
, है तो वो हमारी तरह ही इंसान , इसलिये किसी से भी सही बात
 करने से झिझुकना नही चाहिये
. हम जिसे बचपन कहते हैं , 
वो माँ के आंचल के साथ  साथ 
दादी की गोद के बिना पूर्ण नही कहलाता है.
 लेकिन आज परिवार एकांकी रहने लगे हैं. 
उन्हे किसी की भी दखल अंदाज़ी पसंद नही है 
, इसलिये इन सब बातों को समझ पायें , यह भी ज़िंदगी के सफर का एक हिस्सा था .
🙉🙈🤔👩‍🎓tehzibasheikhnozato #TumAurKavita tehzibasheikhnozato
तुम और कविता ‘❣दादी माँ’ ❣🛐
दादी जिसे हर चीज का तजुर्बा दुगना होता है
 , मुझे जब मेरी दादी की छवि याद अाती है ,
आँखों के सामने एक तस्वीर सी घूम जाती है
मेरी दादी की छवि एक  ऐसी छवि थी जो अनुशासन , नेत्रत्व , ओर ग्यान से परिपूर्ण थी
एक मजबूत नीम की तरह थी. 
बच्चों को कहानी सुनाते सुनाते , 
इतने अच्छे संस्कार डाल देना एक दादी ही कर सकती है
वो माँ नही दादी माँ है. 
जिस तरह माँ एक शीतल छाया का एहसास दिलाती है 
, उसी तरह दादी माँ एक मीठी सी प्यार भरी मिठास है 
, जो जिस बच्चे को मिलती है ,
 वही उसकी अहमियत को समझ सकता है.
मुझे उनकी यह बात हमेशा लुभाती, 
की सामने वाला चाहे जित्न् अभी बड़ा आदमी हो 
, है तो वो हमारी तरह ही इंसान , इसलिये किसी से भी सही बात
 करने से झिझुकना नही चाहिये
. हम जिसे बचपन कहते हैं , 
वो माँ के आंचल के साथ  साथ 
दादी की गोद के बिना पूर्ण नही कहलाता है.
 लेकिन आज परिवार एकांकी रहने लगे हैं. 
उन्हे किसी की भी दखल अंदाज़ी पसंद नही है 
, इसलिये इन सब बातों को समझ पायें , यह भी ज़िंदगी के सफर का एक हिस्सा था .
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