चल के फिर टूटे हुये सपनों को संजोये, बंजर किस्मत पे कर्मों के बीज बोयें, अंधेरे तो मुफ्त मिलें हैं , दिन ब दिन, चल के उजाले को बेझिझक ढोयें।। ये वक्त है वक्त बदलने का , और मंजिल तक अनवरत चलने का..।। वक्त, वक्त बदलने का...।।