अहसास कभी आग में जलते अरमान, तो कभी जैसे सिर्फ पानी ही पानी। कभी अतीत की हर कशिश, कभी"वर्तमान"गढ़ता चुनौती पूर्ण कहानी। कभी सुहाना मौसम,पर दिल धुआँ धुआँ, कभी लगता जैसे जी लूं , हों मौजों की रवानी। जीने नहीं देता परिपक्व सा अंतर्मन, कोशिश होती हंसने की,जैसे कली खिले इठलानी। तमाम एहसास में डूबा हुआ ये दिल, कभी आंखों में नमी कभी होठों पे हंसी आनी जानी। कोई भी दे दिलासा या कुछ भी समझाये , दिल न माने, याद दिलाता सब, करता मनमानी। ©Anjali Sharma मेरी ✍से ❤से