"रोटी की मजबूरी" बहुत कुछ लिखा प्यार और प्यार के अभिव्यक्ति पर, पर आज सोच रही हूं लिखूं किसी नई परिस्थिति पर इसलिए लिख रही हूं आज कुछ नया पसंद अगर आए तो दुआ मुझे देना आज मैंने बारिश में गरीबी को भीगते देखा दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करते देखा क्या करोना मारेगा इनको, गरीबी की विषम परिस्थिति पहले से ही है मारी मन इनका विचलित नहीं होता है क्या करेगा महामारी रोटी की कीमत पाने के लिए अपनी जान जोखिम में है डाली दो वक्त की रोटी के लिए उठा के चल दिए ठेला पहुंच गए लेकर लाश जहां लगा था शवों का मेला। "रोटी की मजबूरी"