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इंसान का स्वाभाव और मन समय के साथ इतना ज्यादा बदलत

इंसान का स्वाभाव और मन
समय के साथ इतना ज्यादा
बदलते जा रहें हैं की जिसकी
कोई सीमा ही नहीं है और 
अब प्रेम तो केवल बेचारे जानवरों
तक ही सीमित हो गया है क्योंकि
इंसान ने तो कुछ ज्यादा ही विकास 
कर लिया है इसलिए अब इंसान
के अंदर से प्रेम नाम का भाव धीरे
धीरे विलुप्त होता जा रहा है

©"pradyuman awasthi"
  #विलुप्त होता जा रहा हैं

#विलुप्त होता जा रहा हैं #जानकारी

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