माया और काया का ये भ्रम पहले था जो, अब भी है आकारों में मन का विभ्रम पहले था जो, अब भी है जड़ चेतन अवचेतन में सीमित करके रखा जो सच उस पर गहरी धुंध का परचम पहले था जो, अब भी है #अंजलिउवाच #YQdidi #माया #काया #भ्रम #परचम #धुंध