अभी नई नई चलना सीखी है ज़ुबान मेरी शायद इसीलिए लड़खड़ाती बहुत है, सच लिखना क्या शुरू कर दिया मैंने लोग कहते हैं, कलम मेरी बड़बड़ाती बहुत है, रहम मिज़ाजी फ़ितरत होने की वजह से भर आता है दिल दुसरो की तक़लीफ़ में भी और ज़माना समझता है, ज़रा ज़रा सी बात पर आँख मेरी डबडबाती बहुत है, तुम रहते हो चाँद की जद में ये तदबीर नही, तक़दीर है तुम्हारी, रोशन कम है, पर हस्ती है अपनी तारों की तरह मेहनत मेरी टिमटिमाती बहुत है.... #nojoto #क़लम #लड़खड़ाना #बड़बड़ाना #सच #अंदाज़