अजीब सी दास्तां है ,मेरे इस उमंग का। हर तरफ रंग फिरभी ज़िंदगी बेरंग सा।। चाहत खुसियाँ पाने की,गमों का पहरा हर तरफ। सहमी सी,डरी सी थोड़ी - थोड़ी उलझी सी, जीने की चाह लिए, कुछ पाने की ख्वाहिश लिये, घूमती फिरूँ मैं हरतरफ।।। सपनों के सफर में जाने कब पहूचूँ मंजिल तक ।। कुछ अनोखा कर जाने का जुस्तुजू लिए, घूमती फिरू मैं हर तरफ।। उलझने मन में हजार लिए, थोड़े से पाने की सुकून में, घूमती फिरूँ मै हर तरफ।। जाने कब कहाँ मिल जाए डगर? हौसलों को संग लिए, घूमती फिरूँ मै हर तरफ।। अजीब सी दास्तां मेरे इस उमंग का । हर तरफ रंग फिर भी जिंदगी बेरंग सा।। #मैं #मेरे_सपने #citysunset