इश्तहार सी जिंदगी इतवार या इख्तियार से नहीं प्रत्याभूति प्रमाण प्रचार प्रहार प्रतिकार से चलती है नफ़ा नुकसान के नतीजे पर है निर्धारित है रिश्ते जो की कुछ उपभोक्ता के लिए ही आरक्षित होती है ©Parul Sharma #विज्ञापन