#OpenPoetry कोई कहता है बदला चाहिए कोई कहे युद्ध का बिगुल बजाओ, क्या होता है मौत का तांडव शहीदो के घर देखकर आओ। एक पिता खड़ा है चौखट में बेरंग बुझी आंखे लेकर, आज बेटा उसका लौट रहा है रण में अपनी आहुति देकर। मां के आंसू जो थाम सके, ऐसा कहाँ कोई बांध बना बार बार गश खा गिरती है आंख खुले तो पूछे मेरा लाल कहाँ। भाई बहन है टूट चुके, फिर भी ढांढस वो बांध खड़े बोले उस वीर का अपमान होवे जो हम उसकी शहादत को आंसू से भिगोए। एक नादान सा बचपन है जिसने पिता का साथ खोया, अब नींद कहा आएगी उसे जो बाबा की आवाज़ सुने बिन एक रात भी न सोया। किसी हाथ की मेहँदी धुंधली भी न थी, जिसका सुहाग अब उजड़ गया इक रिश्ता और अमर हुआ, जिसकी अनकही कहानी है आंसुओ से भीगी 1 लड़की है जिसकी उंगली में सगाई की निशानी है। सड़को पर उतर तिरंगा लहरा हमने देशभक्ति दिखाई है, हमारी देशभक्ति कैसे बस हादसो तक समाई है? माना हर कोई सरहद में नहीं लड़ सकता है, पर वीरो की खातिर इतना तो कर सकता है, हम बन न सके वो वीर जो देश पर जान कुरबान करे, पर वो नागरिक तो बन सकते हैं जिस पर सैनिक भी अभिमान करे।।। #OpenPoetry And tribute to the unsung heroes of wars the families of martyrs