होगी या बहारें उल्फत की यादगारे, बिगड़ेगी और बनेगी दुनिया यहीं रहेंगी। होंगे यही झमेले यहां जिंदगी के मेले, दुनियां में कम ना होंग अफ़सोस हम ना होंगे अफ़सोस हम ना होंगे।। ©Sameer Singh #walkalone डायरी से शायरी