ख्वाब नहीं.. जैसे डर पाला है कहा से शुरू..ये मकड़ीका जाला है एक कोना..जहा बौना..दब के बैठा है जगाए कोन ' अंकित '..ये तोह जीने से ऐंठा है डर पाला है!