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आंधियों ने कुछ कहा। कि जब भी खामोशी हद्द से बढ़ जाए

आंधियों ने कुछ कहा।
कि जब भी खामोशी हद्द से बढ़ जाएगी।
अकड़ सबके होश दूर भगाएगी।
क़ुदरती नज़ारों से नज़र हट जाएगी।
मैं चुपके से आकर कहर बरपाउंगी।
इंसानियत से बिछड़ों को सबक सिखाऊंगी।
आंधियों ने कुछ कहा मैं सबको रंग दिखाऊंगी। Thanks for gave me a opportunity for participate 🙏

📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-124 में स्वागत करता है..🙏🙏
आंधियों ने कुछ कहा।
कि जब भी खामोशी हद्द से बढ़ जाएगी।
अकड़ सबके होश दूर भगाएगी।
क़ुदरती नज़ारों से नज़र हट जाएगी।
मैं चुपके से आकर कहर बरपाउंगी।
इंसानियत से बिछड़ों को सबक सिखाऊंगी।
आंधियों ने कुछ कहा मैं सबको रंग दिखाऊंगी। Thanks for gave me a opportunity for participate 🙏

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