मन का तोता करता रहता नित्य नए संवाद महल-मलीदा, पदवी चाहे लाखों-लाख पगार काम न धेले भर का करता सपने आँख हज़ार इच्छाओं की सूची मेरे सिर पर देता लाद अपने आम बाग़ के मीठे कुतर-कुतर कर फेंके किन्तु पड़ोसी का खट्टा भी चँहके उसको लेके समझाने पर करता रहता अड़ा-खड़ा प्रतिवाद विज्ञापन की भाषा बोले ‘यह दिल माँगे मोर’ देख-देख बौराए तोता देता खींस निपोर बात न माने करने लगता घर में रोज़ फ़साद #nojotopoems goodmrng to all 🤗