मैं #गणित की एक बहुत अच्छी विद्यार्थी थी, पर #प्रेम का #प्रमेय मैं कभी सिद्ध न कर पाई.. जैसे गणित में मानना पड़ता है बस वैसे ही तुम्हें #अपना मानकर, सारी #शायरियां लिखती रहती हूँँ. मुझे पता तुम्हारे #जीवन में मेरा #स्थान उतना ही है जितना '#दशमलव के बाद वाले #शून्य का होता है🌹🌹 तुम्हारी याद और मैँ मौन