बेशक मुझे समझने का हुनर ... है आपके पास... लेकिन आपको जानने की काबिलियत ... मैं भी रखती हूँ... गम इस बात का नहीं की... आप समझ ना सके मुझे.... गम तो इस बात का है... समझ कर भी नासमझ बने रहे.... गुमां तो इस बात का था कि ...समझते है आप मुझको मुझसे बेहतर.... पानी तो तब फिर गया अरमानों पर... जब महफ़िल में .... पड़ोसन तशरीफ़ ले आईं आपकी.... बेतालूक हुए इस कदर आप हमसे... की सारे तालुकात... ज़ाहिर हो गए आपके उनसे... ©️HShri_H...✍️ #kavita#shaayeri