इश्क बे-लफ़्ज है तो नजरें सही मुखातिब-ए-पयाम दे जाती है मुखालिफों दरमियान कोई शक हो तो तलवारें मयान से ही निकल आती हैं पर ये दोनों सिफ़ात तो तुझ ही में मुनफरिद पाई जाती है अब हम क्या कहें, क्या करें इस ज़मीर को भी नहीं समझ आती है। मुखातिब: contact, मुखालिफ: opponents, मयान: sword cover, सिफात: attributes/ qualities मुनफरिद: unique #yqdidi,#yqbaba,#yqbhai