मुझे इक नज़्म लिखनी है लिख भी दूँ मगर लगता है कि तेरे बिना कुछ अधूरा रह जायेगा न लफ़्ज़ों को जोड़ पाऊँगी न जज़्बातों को रोक पाऊँगी जब धुंधली आंखों से गिरी बूंद स्याही फैला गई तो मैं सोचने लगी कि तेरे जाने के बाद लफ़्ज़ों को कागज़ पे बिखेरू या अपने बिखरे परिवार को समेटूं मुझे एक नज़्म लिखनी है मगर ये नही हो पायेगा अब तेरे बगैर आज लिखते लिखते एक शहीद का परिवार याद आ गया एक नज़्म शहीदों के नाम... मुझे इक नज़्म लिखनी है #nazmlikhnihai #collab #yqbhaijan #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Bhaijan #365days365quotes #365दिन365कोट