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आओ.. समेट लो बाहों में अपनी कि बिखर रहा हूँ मैं सा

आओ..
समेट लो बाहों में अपनी
कि बिखर रहा हूँ मैं
साँसे थम थम सी रही है
और तन्हा तड़प रहा हूँ मैं

©हिमांशु Kulshreshtha #desert समेट लो
आओ..
समेट लो बाहों में अपनी
कि बिखर रहा हूँ मैं
साँसे थम थम सी रही है
और तन्हा तड़प रहा हूँ मैं

©हिमांशु Kulshreshtha #desert समेट लो