पंखुड़ी (भाग 3) काव्य अपनी माँ के साथ रमेश के घर जाती है,वो लड़की आयी बाहर बैठी,माँ ने उसका चेहरा देखा, काव्य पहले ही उसे अपनी खिड़की से देख चुकी थी, "तुम्हारा नाम क्या है "? काव्य नेु पूछा सेहमी सी आवाज में उसने कहा... प.पंखुड़ी फिर माँ ने उसे भीतर उसके कमरे में वापस भेज दिया "माँ मैं भी थोड़ी देर के लिये कमरे मे जाऊ क्या "?( काव्य ने अपनी माँ से पुछा ) जाओ पर वहाँ ज्यादा देर रुकना नहीं (काव्य की माँ ने कहा ) वो जैसे ही कमरे में गयी पंखुड़ी उसे देखते ही उससे लिपट के रोने लगी |उसकी पीड़ा इतनी ज्यादा थी के उसका दुख काव्य के ह्दय मे भी पार हो रहा था जिन आँखों को काव्य ने अपनी खिड़की से नयी शुरुआत की रह तकते देखा था अगले ही दिन उनमे आंसू देखना उसके लिये भयावह था "तुम ठीक हो"? ख़ुश हो शादी से? काव्य के इस सवाल से पंखुड़ी ओर रोने लगी.. उसके रोने से काव्य इतना तो समझ गयी के उसके साथ गलत हुआ है पर उसे विरोध करना नहीं आया | काव्य.... काव्य (बाहर से माँ की आवाज ) काव्य पंखुड़ी को इस हालत मे छोड़ जाना तो नहीं चाहती थी पर उसे जाना पड़ा ||||||| रमेश को बहु तो सुंदर मिली है, नाजुक सी है अभी उम्र की क्या है तुझसे भी 2बरस छोटी है माँ.......... (काव्य कुछ कहते हुए चुप हो जाती है ओर अपने कमरे में चली जाती है )... #पंखुड़ी भाग 3