दुःख की सुनसान गलियों मे फिरता है क्यूँ मारा- मारा, हुआ है इश्क़ में यारों यहाँ हर शख़्स बेचारा। मोहब्बत में अगर होता ही है जीत- हार का मसला, तो क्यूँ जीतती हर बार है दुनिया, हर बार इश्क़ ही हारा। रहते थे जिन जनाब के शौक- ए- नवाब कल तक, है अब मोहताज़ साँसों का बना फिरता है बंजारा। किया जो इश्क़ गर तुमने तो सुनलो राग ये मेरा, मरा बेबस ही आखिर मे जो था अपनी जान का प्यारा। -इश्क़वार दुःख की सुनसान गलियों मे.... #poem #sadsayari #sad #ishq #loveshayari #slove