Dear Migraine ... तू मुझ में ही छिपा कहीं या मेरा हमसाया है.. मैं तुझको इतना भाती हूँ या मैंने ही तुझे बुलाया है.. यह साथ कठिनतम कब तक का और सहा नहीं जाता है.. विक्रम के बेताल सा, तुझको कंधों पर ढोती मैं, अब मेरा हर कदम लड़खड़ाता है ... अब ये बंधन तोड़ दे.. मेरे मष्तक में बाँधी, अपनी जंज़ीरों को अब खोल दे.. मैं भी तो देखूँ.. तू न होता तो मैं क्या होतीं .. Migraine ( आधा शीशी सिर दर्द) मेरी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्सा , जिसने इसका स्वयं अनुभव नहीं किया उसके लिए यह महज सिर दर्द है लेकिन वास्तविकता में यह सिर्फ सिर दर्द नहीं वरन अधिक कष्टदायी है। जो रोजमर्रा की ज़िन्दगी को भी प्रभावित करती है। आज अपने इस अभिन्न हिस्से के लिए कुछ लिखने का मन हुआ। #yqbaba #yqdidi #hindiwriters #migraine #सिरदर्द