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पुरुष चाहे कितनी ही स्त्रियों से विवाह कर लें या प

पुरुष चाहे कितनी ही स्त्रियों से विवाह कर लें या प्रेम .....
स्त्री कभी उसे वेश्या की उपाधि नहीं देती ...
वो देर-सवेर पुरूष की भावना स्वीकारती ही हैं...
और उसके सम्मान का मान रख ही लेती हैं ... 
लेकिन पुरूष अपनी प्रेमिका के जीवन में दूसरे पुरूष को कभी नहीं स्वीकारता ... क्यू के उसे सिर्फ उसी से प्रेम है
और पल भर में स्त्री को वेश्या की संज्ञा से सुसज्जित कर देता हैं ... 
जानते हैं क्यूँ ???? 
क्यूँकि पुरूष को अति प्रिय होता है अपना अहम ....
और स्त्री को सर्वोपरि होता है अपना प्रेम ...... 
निसंदेह पीड़ा तो स्त्री को भी होती है....
क्यूँकि एक कोमल हृदय वह भी रखती हैं ...
फिर भी वह पुरुष को वेश्या नहीं कहती हैं ...
क्यूँकि वेश्या तो स्त्रियाँ होती हैं ... 
पुरुष तो पति होता हैं , प्रेमी होता हैं ,
मित्र भी होता हैं ...कुछ भी करे कहे की तुमको जानता ही नहीं मै 
पुरुष वेश्या कैसे होगा .....??? नही कभी नही...
वेश्या तो स्त्रियाँ होती हैं ...
सदा से .....!”

©प्रियंका गुप्ता (गुड़िया) 
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