देखता हूँ ग़र कोई गुल जो, तेरे लबों सा लगता है, मुझे तो ये चाँद भी तेरे सामने फ़ीका लगता है। फ़िज़ाऐं महक हो उठती हैं खुशबू में तेरे आने से फिर बहारें आ जाती है , मुझे ऐसा लगता है। गुल= फूल फ़िज़ा=वातावरण #गुल #लबों #चाँद #फीका #बहारें #यश_वर्मा ✍️