"कान्हा तेरे प्यार में" गोपियों संग लीला रचाई थी तुमने, बृज में होली मनाई थी तुमने, हो कहाँ अब और किस खुमार में, कहीं न मिलते हो इस दुनिया के बाजार में, मैं तड़पता हूँ यहाँ तेरे इंतज़ार में, कान्हा तेरे प्यार में| अर्जुन संग सखा बन तुमने अपना प्रण निभाया, कौरवों के हर व्यूह रचना को तोड़ दिखाया, धर्म की रक्षा करना तुमने कर्म कर समझाया, गीता उपदेश में तुमने जीवन का सार सिखलाया, समझने को तुमसे सिर्फ तुमसे हूँ बेकरार मैं, कान्हा तेरे प्यार में| सुदामा को गले से लगाया था तुमने, मित्र धर्म से परिचय कराया था तुमने, मीरा से भी तुम थे मिलने आए, उनकी कविताओं में हो तुम ही छाए, मैं भी लिखता हूँ कविता इज़्तिरार में, कान्हा तेरे प्यार में| राधा संग तेरी कहानी चढ़ी है हर जुबानी, प्रेम की इससे प्यारी नहीं है मिसाल, न नई-न पुरानी, बांसुरी बजाते थे तुम दौड़ चली आती थी राधा रानी, अब राधे-राधे भजने से ही होती है तुमसे मुलाकात सुहानी, इस होली रंग जाओ मुझे, रंगा जैसे अर्जुन, सुदामा, मीरा, राधा को अपने प्यार में, कान्हा तेरे इंतज़ार में, तेरे प्यार में..... "कान्हा तेरे प्यार में" गोपियों संग लीला रचाई थी तुमने, बृज में होली मनाई थी तुमने, हो कहाँ अब और किस खुमार में, कहीं न मिलते हो इस दुनिया के बाजार में, मैं तड़पता हूँ यहाँ तेरे इंतज़ार में, कान्हा तेरे प्यार में|