बहती हवा सा **************** एक ज्वलंत ख्याल बहती हवा सा बह गया और मनमस्तिष्क में घर कर गया, दिल ए तम्मना न थी कुछ करने की मन हार गया था ऐसा वो गहरा मर्म दे गया, ज्ञानोदय ऐसा हुआ अन्तरात्मा में संज्ञान व मेरी सोइ चेतना में वो जाकर बस गया, मंजिल ए इक़रार हुआ,मुकाम से फिर प्यार हुआ,लक्ष्य पाने का जुनून सर सवार हुआ, जगी ऐसी आग थी, मैं कूपमंडूक थी पर आज धारा चीर कर नदी से समुंदर का मिलन हुआ, सूखी वीरान बंजर जमी थी आज आत्मविश्वास के खाद से मरुधरा में कलियों का खिलाना हुआ है। #sanjaysheoran #ritiksheoran #साहित्यिक_सहायक #अमरनाथ_की_यात्रा #insprational_thought