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चिराग़ मुस्काया वहाँ जहाँ अँधेरा था मैं भी त







चिराग़ मुस्काया वहाँ
जहाँ अँधेरा था
मैं भी तेरा हाथ थामा
तू जब अकेला था
कोई नहीं आता था जहाँ
देख आज महफ़िल है
जो खाली हाथ रहा था सालों
आज उसके पास भी पैसा था...!!!

©Vivek
  #अंधेरा