" इक रोज़ तुझसे कहीं ना कहीं वाकिफ यार हो ही जाऊंगा , तु मुहब्बत की कुछ गुंजाइश तब्बजो कर मैं तेरा साकी हो ही जाऊंगा , फिर फ़िरदौस जो हो सो हो ऐसे में कहीं ना कहीं , मैं तेरा मुन्तजिर यार दीदारे-ए-ख़्वाब हो जाऊंगा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " इक रोज़ तुझसे कहीं ना कहीं वाकिफ यार हो ही जाऊंगा , तु मुहब्बत की कुछ गुंजाइश तब्बजो कर मैं तेरा साकी हो ही जाऊंगा , फिर फ़िरदौस जो हो सो हो ऐसे में कहीं ना कहीं , मैं तेरा मुन्तजिर यार दीदारे-ए-ख़्वाब हो जाऊंगा . " --- रबिन्द्र राम #वाकिफ #मुहब्बत#गुंजाइश #तब्बजो #साकी #फ़िरदौस #मुन्तजिर #दीदारे-ए-ख़्वाब