अंजाना मन फिर विह्वल है दृष्टि शिखर पर ही अपलक है, लगे मुझे हर क्षण असफल सा धरा विश्व की क्यों जलमय हैं, फिर भी हृदय सदा ये कहता तेरा प्रेम अभी अविचल है, कभी लगा जो दूर हूँ तुझसे तब जाना तू ही अंतस् है ।। #fourtyfifthquote #life #hindi #poetry #philosphy #philosophyoflife #buddha